झारखण्ड सामान्य भविष्य निधि नियमावली (GPF Jharkhand) खंड निधि से अग्रिम नियम 15 के तहत अग्रिम राशि प्रदान करने का प्रावधान है।
झारखंड सरकार, वित्त विभाग अधिसूचना ज्ञापांक -जी.पी.एफ.- 272/भ.नि. दिनांक 10.02.2014 की कंडिका 7 से 14 द्वारा उक्त नियमावली के नियम 15(1) से 15(7) तक निम्नलिखित संशोधन/विलोपन किया गया है जो निम्नवत है:-
कंडिका-7 नियम 15(1) में अंकित “अस्थायी अग्रिम” के स्थान पर “स्थायी अग्रिम“ प्रतिस्थापित किया जाय तथा टिप्पणी 3(ग) को विलोपित किया जाय ।
कंडिका-8 नियम 15(1)(क) (iv) में अंकित “बशर्ते कि उक्त शिक्षा क्रम तीन वर्ष से कम का ना हो” को विलोपित किया जाय ।
कंडिका-9 नियम 15(2) में निम्न कंडिका को अंतः स्थापित किया जाय :-
- ऐसे अभिदाता जिन्होंने नियमित सेवा का 5 वर्ष पूर्ण कर लिया हो उन्हें उनके निधि में जमा राशि का एक तिहाई स्थायी अग्रिम स्वीकृत किया जा सकेगा ।
- वैसे अभिदाता जिन्होंने नियमित सेवा का 5 वर्ष से अधिक परन्तु 10 वर्ष से कम पूरा किया हो उन्हें उनके निधि में जमा राशि का आधा, स्थायी अग्रिम स्वीकृत किया जा सकेगा।
- वैसे अभिदाता जिन्होंने नियमित सेवा के 10 वर्ष की अवधि पूरी कर ली हो उन्हें उनके निधि में जमा राशि का तीन चौथाई, स्थायी अग्रिम स्वीकृत किया जा सकेगा।
- उक्त नियमावली के नियम 15 (1) तथा उक्त संशोधनों के प्रभाव से उक्त ज्ञापांक की कंडिका (10) के अनुसार (i) राजपत्रित पदाधिकारियों एवं (ii) अराजपत्रित पदाधिकारियों / कर्मियों को स्थायी अग्रिम अभिदाता से स्वअभिप्रमाणित लेखा विवरणी के साथ लिखित आवेदन प्राप्त होने पर निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी द्वारा स्वीकृति दी जायेगी ।
झारखण्ड सामान्य भविष्य निधि- (GPF Jharkhand ) से न्यूनत्तम और अधिकतम राशि अंशदान का नियम
झारखण्ड सामान्य भविष्य निधि (GPF Jharkhand) नियमावली 41 -2014 (पार्ट-2) 258 / भ. नि. 29-01-2016 के नियम 11(2) को विलोपित करते हुए अंशदान मासिक पारित विपत्र (मूल वेतन+ग्रेड पे ) का न्यूनत्तम 6 प्रतिशत से अधिकत्तम 100 प्रतिशत तक का होगा और यह पूर्ण रूपया में अभिव्यक्त की जाएगी ।
सामान्य भविष्य निधि से अप्रत्यर्पणीय अग्रिम ( None- Refundable Advance ) निकासी का नियम (Rule for withdrawal of Non-Refundable Advance from Jharkhand General Provident Fund)
झारखण्ड सामान्य भविष्य निधि (GPF) नियमावली के नियम 15 तथा बिहार/झारखंड सरकार, वित्त विभाग ज्ञापांक सा.आ.सं. एफ.-2-2096-57- 3318/वि. दिनांक 03-03-1958 के अनुसार अप्रत्यर्पणीय अग्रिम-निधि निम्नलिखित विशेष प्रयोजन के लिए स्वीकृत किये जा सकेंगे :-
- (क) विवाह
- (ख) उच्चतर शिक्षा और
- (ग) भवन निर्माण
(क) विवाह
- केवल अभिदाता की पुत्रियों एवं पुत्रों के विवाह के लिए तथा अभिदाता को पुत्र और पुत्री नहीं रहने पर उस पर निर्भर किसी अन्य महिला संबंधी के लिए ही अग्रिम अनुमान्य है ।
- उक्त अग्रिम को दहेज पर नहीं खर्च किया जायेगा।
(ख) उच्चतर शिक्षा
- अभिदाता पर निर्भर उसकी संतान की भारत में माध्यमिक स्तर से आगे की शिक्षा के लिए अग्रिम अनुमान्य है।
- नियम 15(1) (क) (iv) के अनुसार अभिदाता पर निर्भर उसकी संतान की भारत में माध्यमिक स्तर से आगे की चिकित्सीय, अभियान्त्रिकी अथवा अन्य तकनीकी या विशिष्टकृत कोर्स के लिए “बशर्ते की उक्त शिक्षा-क्रम तीन वर्ष से कम का ना हो।”
झारखंड सरकार, वित्त विभाग अधिसूचना संस्था-272/भ. नि. दिनांक 10 -02 -2014 की कंडिका-8 के अनुसार उक्त नियम में अंकित “बशर्ते कि उक्त शिक्षा-क्रम तीन वर्ष से कम का ना हो” को विलोपित किया जाय ।
अर्थात “बशर्ते की उक्त शिक्षा क्रम तीन वर्ष से कम का ना हो” निष्प्रभावी हो गया है।
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(ग) भवन निर्माण
भवन हेतु अप्रत्यर्पणीय अग्रिम स्वीकृति की विशेष शर्तें निम्न प्रकार हैं:-
- भवन का निर्माण, क्रय जिसमें स्थल का मूल्य, राज्य की समेकित निधि को छोड़कर अन्य स्रोत के लिए ऋण की वसूली अन्तर्विष्ट है।
- निकासी बराबर-बराबर न्यूनतम दो और अधितम चार किस्तों में की जायेगी ।
- खर्च से बच रही राशि लौटानी होगी।
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