ग्रीष्मावकाश के दौरान बच्चों की अधिगम यात्रा को जीवंत, रुचिकर और रचनात्मक बनाए रखने के लिए विद्यालयों में गतिविधि-आधारित गृहकार्य की एक नवीन पहल की गई है। यह प्रयास बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाई के साथ-साथ जीवन कौशल, रचनात्मकता और सामाजिक जिम्मेदारी से जोड़ता है। जब सीखना मजेदार बनता है, तो बच्चे न केवल चुटकी में सीखते हैं, बल्कि वह ज्ञान उनके जीवन भर साथ रहता है।

हर प्रयास में नवीनता और प्रत्येक योजना में परिवर्तन का उत्साह लिए, रांची के जिला शिक्षा अधीक्षक श्री बादल राज के नवाचारों ने न केवल शिक्षा को सरल, सहज और रोचक बनाया है, अपितु हज़ारों विद्यार्थियों के भविष्य को एक नई दिशा भी प्रदान की है। इसी सृजनात्मक सोच की नवीनतम कड़ी के रूप में, इस वर्ष प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा 1 से 5 Primary School Homework (Class 1-5) तक के विद्यार्थियों हेतु ग्रीष्मावकाश को रचनात्मक एवं आनंददायक अनुभव में परिवर्तित करने की दिशा में एक अभिनव पहल की गई है। बच्चों की अधिगम यात्रा को अवकाश काल में भी रोचक, सक्रिय एवं अर्थपूर्ण बनाए रखने के उद्देश्य से गतिविधि आधारित ग्रीष्मावकाश गृहकार्य तैयार किया गया है।
डीएसई, रांची द्वारा इन गतिविधियों को इस प्रकार रूपांकित किया गया है कि बच्चे खुद खेल-खेल में सीखने की भावना को प्रोत्साहित करे तथा भाषा, गणित, रचनात्मकता और जीवन कौशल से संबंधित क्षमताओं का विकास करे। यह पहल न केवल विद्यार्थियों को शैक्षणिक रूप से सुदृढ़ बनाएगी, अपितु उन्हें घरेलू परिवेश, सामाजिक उत्तरदायित्व एवं आत्म-अनुशासन से भी जोड़ेगी।
कक्षा 1 से 5 तक की प्रोजेक्ट वर्क / होम वर्क डाउनलोड करने के लिए नीचे डाउनलोड बटन को क्लिक करें।
सारांश
प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा 1 से 5) के गृहकार्य को रुचिकर और प्रभावशाली बनाने के उद्देश्य से, बच्चों को स्वयं करके, देखकर और सुनकर सीखने हेतु इस नवाचार का प्रयोग इस ग्रीष्मावकाश के लिए किया गया है। ग्रीष्मावकाश अवधि में दिया गया गृह कार्य को समय पर कार्य पूरा करना, उसे साझा करना और प्रस्तुति देना बच्चों में आत्मनियंत्रण और ज़िम्मेदारी की भावना को विकसित करेगा। बच्चे जब घर पर चित्र बनाना, लेखन, मॉडल बनाना जैसी गतिविधियाँ करेंगे तो बच्चों की कल्पनाशक्ति और सृजनात्मकता को बढ़ावा मिलेगा। अभिभावकों के सहयोग से कार्य करने पर बच्चे परिवार के और करीब आएँगे और घर में भी सीखने का वातावरण बनेगा। दूसरे बच्चों के कार्यों को देखकर प्रेरणा मिलेगी और समूह में सीखने की भावना प्रबल होगी।