यदि आप सरकारी कर्मचारी हैं, तो बिना स्वीकृति के मनमाने ढंग से छुट्टी लेना घातक सिद्ध हो सकता है। भले ही आपके अवकाश शेष हो, फिर भी आप उस अनधिकृत छुट्टी का दावा नहीं कर सकते। कार्यालय में महत्वपूर्ण कार्यों की अधिकता के बावजूद स्वेच्छा से छुट्टी पर रहना सेवा संहिता का उल्लंघन है। सरकारी छुट्टी नियम (Government Leave Rules) की धारा 152 के अनुसार छुट्टी को अधिकारपूर्वक लेने का कोई दावा नहीं किया जा सकता। यदि लोक सेवा के लिए छुट्टी की अत्यंत आवश्यकता हो, तो छुट्टी आवेदन पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक या कार्यालय प्रमुख अपने विवेकानुसार उसे स्वीकृत या अस्वीकृत कर सकते हैं।

आवेदन स्वीकृत और अस्वीकृत करने का सरकारी छुट्टी नियम (Government Leave Rules) क्या है ?
झारखंड सेवा संहिता के परिशिष्ट-12 के अंतर्गत यह परिभाषित किया गया है कि किन सरकारी कर्मचारियों अथवा शिक्षकों को, कब और किस स्थिति में छुट्टी प्रदान की जा सकती है, ताकि विभागीय कार्यों में कोई बाधा उत्पन्न न हो। निर्धारित प्रक्रिया से हटकर कार्य करने वाले कर्मचारी सरकारी कार्यों के प्रति लापरवाह और अयोग्य माने जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सरकारी छुट्टी नियम (Government Leave Rules) के तहत उन्हें लघु या दीर्घ दंड (Minor or Major Penalty) दिया जा सकता है। छुट्टी को स्वीकृत या अस्वीकृत करने हेतु सरकार द्वारा निम्नलिखित नियम निर्धारित किए गए हैं:-
ऐसे सरकारी कर्मचारियों को प्राथमिकता के साथ छुट्टी दी जा सकती है, जिन्हें आवश्यकता पड़ने पर सुविधापूर्वक ड्यूटी पर वापस बुलाया जा सके।
यदि एक ही तिथि के लिए एक से अधिक छुट्टी आवेदन प्राप्त होते हैं, तो प्रत्येक आवेदक की शेष छुट्टी की मात्रा को ध्यान में रखते हुए अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। जिस शिक्षक या कर्मचारी की सबसे अधिक छुट्टियाँ शेष हों, उसे प्राथमिकता दी जा सकती है।
छुट्टी स्वीकृत करते समय इस बात का भी मूल्यांकन किया जाना चाहिए कि पिछली छुट्टी से लौटने के बाद संबंधित कर्मचारी ने कार्यालय या विद्यालय में कार्य निष्पादन (जैसे पठन-पाठन) किस स्तर का किया।
यदि किसी कर्मचारी को पिछली बार छुट्टी के दौरान आपातकालीन स्थिति में वापस बुला लिया गया था, तो ऐसे कर्मचारी को इस बार प्राथमिकता के साथ छुट्टी दी जा सकती है।
लोकहित में यदि किसी कर्मचारी के अवकाश आवेदन को पूर्व में अस्वीकृत किया जा चुका हो, तो उसके वर्तमान अवकाश आवेदन को प्राथमिकता दी जा सकती है।
जो कर्मचारी चिकित्सीय कारणों से थोड़े-थोड़े समय पर बार-बार अवकाश के लिए आवेदन करते हैं, उन्हें बिना वैध स्वास्थ्य प्रमाण पत्र के छुट्टी नहीं दी जानी चाहिए। कार्यालय प्रमुख द्वारा ऐसे कर्मचारियों को यह सलाह दी जानी चाहिए कि वे पूर्ण स्वास्थ्य लाभ के लिए जितने दिनों की छुट्टी आवश्यक हो, उतनी छुट्टी एक बार में ही लें, ताकि कार्यालयीय या विद्यालयीय कार्यों में बाधा उत्पन्न न हो।
छुट्टियाँ कितने प्रकार की होती हैं ?
झारखंड सेवा संहिता, अध्याय-6, भाग-1, परिशिष्ट-1, नियम 149 के अंतर्गत राज्य सरकार निर्धारित नियमों के अधीन विभिन्न प्रकार की अनुमन्य छुट्टियाँ प्रदान कर सकती है।
यहाँ यह जानकारी देना उचित होगा कि सरकारी अवकाश नियम (Government Leave Rules) के नियम 153 के अनुसार निलंबन की स्थिति में किसी कर्मचारी को छुट्टी प्रदान नहीं की जा सकती है।
कुछ छुट्टियाँ सेवा अवधि के दौरान अर्जित (उपार्जित अवकाश) होती हैं, कुछ छुट्टियाँ पूर्व स्वीकृति के आधार पर ली जाती है, और कुछ विशेष परिस्थितियों में ऐसी भी छुट्टियाँ होती है जो छुट्टी समाप्ति के पश्चात स्वीकृत की जाती है।
सरकारी सेवकों के लिए छुट्टियाँ मुख्यतः निम्नलिखित प्रकार की होती है :-
➠आकस्मिक अवकाश,
➠उपार्जित अवकाश,
➠चिकित्सा अवकाश,
➠मातृत्व अवकाश,
➠पितृत्व अवकाश,
➠विशेष आकस्मिक अवकाश,
➠क्षतिपूरक अवकाश,
➠विशेष अवकाश,
➠आधे वेतन पर अवकाश,
➠रूपांतरित अवकाश,
➠असाधारण अवकाश,
➠अध्ययन अवकाश,
➠अदेय अवकाश,
➠निरोधा अवकाश,