झारखंड राज्य में “बिहार सेवा संहिता” को ही लागू किया गया है। इसलिए जहाँ-जहाँ “बिहार” शब्द का उल्लेख है, वहाँ “झारखंड” माना जाएगा। जब झारखंड, बिहार का हिस्सा था, तब तत्कालीन राज्यपाल ने सरकारी कर्मचारियों के कामकाज के लिए हिंदी टिप्पणी परीक्षा से संबंधित नियम बनाए थे। इसके लिए अधिसूचना संख्या 361, दिनांक 15 जून 1968 को जारी की गई थी।
इन नियमों को “बिहार सरकारी सेवक (हिंदी परीक्षा) नियमावली, 1968” कहा जाता है। यह नियमावली सरकारी कर्मचारियों की वेतन वृद्धि के लिए हिन्दी टिप्पणी (Salary increment) लिखने की परीक्षा से संबंधित है।
झारखण्ड राज्य के सभी स्कूलों में पढ़ाने वाले प्राथमिक, मध्य और माध्यमिक स्कूल के शिक्षक, सहायक शिक्षक, शिक्षिकाएँ और मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक को हिंदी टिप्पणी और प्रारूप (ड्राफ्ट) लिखने की परीक्षा जरूरी होगी या नहीं, इस बारे में नीचे पूरी जानकारी दी गई है। आप अंत तक अवश्य पढ़ें।
सरकारी कर्मचारियों की वेतन वृद्धि (Salary increment) के लिए हिन्दी टिप्पणी का नियम
कंडिका-2 : चतुर्थ वर्ग (चौथी श्रेणी) के कर्मचारियों को हिंदी टिप्पणी की परीक्षा नहीं देनी होती। लेकिन बाकी सभी सरकारी कर्मचारियों को, जिनका काम लिखने-पढ़ने से जुड़ा है, उन्हें यह परीक्षा पास करनी होती है – अगर उन्होंने पहले से हाई स्कूल (प्रवेशिका) में हिंदी नहीं पढ़ी हो या कोई ऐसी परीक्षा पास नहीं की हो जिसे सरकार मान्यता देती हो। ऐसे कर्मचारियों को नियुक्ति के एक साल के अंदर देवनागरी लिपि में हिंदी पढ़ने और लिखने की (हिन्दी टिप्पणी )परीक्षा पास करनी जरूरी है।
नियम-3 के अनुसार, अगर कोई कर्मचारी पहले ही देवनागरी लिपि में हिंदी टिप्पणी और प्रारूप लिखने की परीक्षा पास कर चुका है, तो उसे वेतन वृद्धि (Salary increment) के लिए हिन्दी टिप्पणी की यह परीक्षा फिर से पास करने की जरूरत नहीं होती है।
कंडिका- 3 : नियमावली के अनुसार वेतन वृद्धि के लिए सरकारी नौकरी करने वाले हर उस कर्मचारी को जिसका काम रिपोर्ट लिखना या कोई कागज तैयार करना है, उसे हिंदी में लिखने की एक हिन्दी टिप्पणी परीक्षा पास करनी होगी। यह परीक्षा देवनागरी लिपि में होती है उसे अपनी नौकरी लगने के एक साल के अंदर यह परीक्षा पास करनी है। लेकिन जिन लोगों ने पहले ही 1961 में बनाए गए नियम के तहत सरकारी हिंदी की परीक्षा (ऊँचे या नीचे स्तर की) पास कर ली है, उन्हें यह परीक्षा दोबारा देने की जरूरत नहीं है।
कंडिका -7 : अगर कोई सरकारी कर्मचारी हिंदी टिप्पणी की परीक्षा पास नहीं करेगा , तो उसे वार्षिक वेतन वृद्धि का फायदा नहीं मिलेगा जब तक कि वह हिंदी टिप्पणी की ज़रूरी परीक्षा पास न कर ले।
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वेतन वृद्धि (Salary increment) के लिए हिन्दी टिप्पणी नियमावली में संशोधन
हिन्दी टिप्पणी परीक्षा नियमावली में बिहार सरकार राजभाषा विभाग पत्र सं० 4/92-719/रा० दिनांक 15 जून, 1993 में आंशिक संशोधन किया गया। राज्य कर्मियों की असुविधा पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने के उपरान्त राज्य सरकार ने कंडिका-7 (ऊपर में उल्लेखित ) में आंशिक संशोधन करने का निर्णय लिया है जिसके अनुसार नियुक्ति और प्रथम वेतन वृद्धि के बीच हिन्दी टिप्पणी एवं प्रारूपण परीक्षा/ हिन्दी लिखने-पढ़ने की योग्यता परीक्षा आयोजित नहीं होने की स्थिति में प्रथम वेतन वृद्धि नहीं रोकी जायेगी।
प्राथमिक और मध्य विद्यालय के सहायक शिक्षक और प्रधानाध्यापक हेतु हिन्दी टिप्पणी परीक्षा का नियम
जैसा की ऊपर में लिख चुके है की बिहार सरकारी सेवक को हिन्दी टिप्पणी परीक्षा नियमावली, 1968 के अधीन वेतन वृद्धि के लिए हिन्दी टिप्पणी एवं प्रारूपण परीक्षा में उन सरकारी सेवकों को उत्तीर्णता प्राप्त करने की आवश्यकता होती हैं जिन्हें अपने कार्य-संपादन में हिन्दी में टिप्पणी लिखने, प्रारूप या प्रतिवेदन तैयार करना पड़ता है।
सहायक शिक्षक– बिहार राजभाषा विभाग ने प्राथमिक/मध्य/माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों/सहायक शिक्षकों के कर्त्तव्यों पर विचार कर यह निर्णय लिया है कि चूंकि इन्हें कार्य सम्पादन में हिन्दी में टिप्पणी लिखने, प्रारूप या प्रतिवेदन प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होती है, अतः उनके लिए इस परीक्षा में सम्मिलित होने और उत्तीर्ण होने की आवश्यकता नहीं है।
प्रधानाध्यापक – हिंदी परीक्षा के नियम 1968 के अनुसार, जो भी सरकारी कर्मचारी ऐसे पद पर काम करता है जहां उसे रिपोर्ट लिखनी, टिप्पणी करनी या ड्राफ्ट बनाना पड़ता है, उसे वेतन वृद्धि के लिए हिन्दी टिप्पणी की परीक्षा अपनी नौकरी लगने के एक साल के अंदर ज़रूर पास करनी होगी। अगर वह यह परीक्षा पास नहीं करता, तो उसे वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिलेगा ।
इसी तरह, मध्य विद्यालय ( मिडिल स्कूल) के प्रधानाध्यापकों को भी अपनी ड्यूटी में रिपोर्ट, टिप्पणी और ड्राफ्ट बनाना पड़ता है, इसलिए उन्हें भी प्रधानाध्यापक बनने के एक साल के भीतर यह हिन्दी टिप्पणी की परीक्षा पास करनी जरूरी है।
सारांश
राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है कि सरकारी प्राथमिक या मध्य विद्यालय के सहायक शिक्षकों को हिंदी में टिप्पणी और ड्राफ्ट लिखने की परीक्षा देना जरूरी नहीं है। लेकिन अगर ये शिक्षक बाद में मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक बनते हैं, तो उन्हें यह हिन्दी टिप्पणी की परीक्षा प्रधानाध्यापक बनने की तारीख से एक साल के अंदर ज़रूर पास करनी होगी। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो उनकी इन्क्रीमेंट बढ़ना अपने आप रुक जाएगा।