झारखण्ड सेवा संहिता के अनुसार अवयस्क संतान वाली सरकारी महिला सेविका को सम्पूर्ण सेवाकाल में दो संतान तक का लालन- पालन एवं देखभाल के लिए शिशु देखभाल छुट्टी (child care leave) दिया जाता है। यह अवकाश उनकी परीक्षा या बीमारी की दशा में अधिकतम दो वर्ष अर्थात 730 दिन तक सक्षम प्राधिकार द्वारा स्वीकृत की जा सकती है।
शिशु देखभाल छुट्टी (child care leave) के साथ कोई भी अन्य देय छुट्टी मंजूर हो सकती है बशर्तें कि शिशु देखभाल छुट्टी के क्रम में माँगी गई कोई अन्य छुट्टी सरकारी चिकित्सक द्वारा जारी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र प्रस्तुत की जाए।
महिला शिक्षिकाओं को एक कैलेंडर वर्ष (जनवरी से दिसंबर) यानी एक साल में तीन बार ही अवकाश लेने की पात्रता होगी। यदि शिशु देखभाल छुट्टी (Child Care Leave) के तहत आवेदन दिया और एक दिन का भी अवकाश लिया हो तो उसे भी गिना जाएगा। इसके बाद शिक्षिकाओं को सिर्फ दो बार आवेदन करने की पात्रता होगी। छुट्टी के लिए महिला शिक्षिकाओं को 90 दिन यानी 3 महीने पहले आवेदन करना होगा। तभी अवकाश स्वीकृत हो सकता । शिक्षिकाएं अपनी संतान की 18 वर्ष की उम्र तक अवकाश ले सकती है।
शिशु देखभाल छुट्टी (Child Care Leave) का नया नियम
सेवा संहिता के नियम- 220 में संशोधन करके उक्त संहिता, 1952 के नियम 220 के उप-नियम (ख) में प्रयुक्त अंक “135” अंक “180” द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। सेवा संहिता संहिता, 1952 के नियम 220 के बाद नया नियम 220A अन्तःस्थापित किया गया।
शिशु देखभाल छुट्टी (Child Care Leave) के लिए सरकारी महिला सेविका प्राधिकृत डॉक्टर से इस आशय का मेडिकल सर्टिफिकेट प्रस्तुत करेगी की शिशु के लिए मां का व्यक्तिगत रूप से ध्यान रखना आवश्यक है तथा शिशु के निकट रहना नितांत जरुरी है। इस आधार पर उन्हें अवयस्क संतान की उचित देखरेख एवं पालन पोषण हेतु 730 की छुट्टी सक्षम पदाधिकारी द्वारा प्रदान की जाएगी।
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शिशु देखभाल छुट्टी की नई शर्तें
यह छुट्टी केवल शिक्षिकाओं या महिला कर्मचारियों को प्रदान की जाती है। अवयस्क अर्थात नाबालिग पुत्र-पुत्रियों की देखभाल के लिए शिशु देखभाल छुट्टी (child care leave) का उपभोग करने हेतु निम्लिखित शर्ते है :-
- अवयस्क संतान वाली महिला कर्मचारियों को उनकी समस्त सेवा अवधि के दौरान, केवल दो संतान तक उनकी परीक्षा, बीमारी की दशा में पालन-पोषण या देखभाल के लिए, दो वर्ष यानी (730 दिन) की शिशु-देखभाल-छुट्टी छुट्टी स्वीकृत करने वाले किसी सक्षम प्राधिकारी द्वारा की जा सकेगी।
- शिशु देखभाल छुट्टी (Child Care Leave) अर्जित (उपार्जित) अवकाश के समान मानी जाएगी और उसी प्रकार से मंजूरी की जायेगी ।
- शिशु देखभाल छुट्टी का अधिकार पूर्वक दावा नहीं किया जा सकेगा। किसी भी परिस्थिति में, मंजूर करने वाले प्राधिकारी की पूर्वानुमति एवं उचित मंजूरी के
- बिना, कोई सरकारी महिला सेविका इस छुट्टी पर प्रस्थान नहीं कर सकेगी।
- इस छुट्टी के दौरान पड़ने वाले शनिवार, रविवार एवं राजपत्रित छुट्टियाँ भी शिशु-देखभाल-छुट्टी में शामिल की जाएगी।
- शिशु देखभाल छुट्टी 15 दिनों से कम के लिए मंजूर नहीं की जायेगी।
- शिशु देखभाल छुट्टी साधारणतया परिवीक्षा अवधि के दौरान मंजूर नहीं की जाएगी, सिवाय कतिपय अत्यंत कठिन परिस्थितियों की दशा में, जहाँ छुट्टी मंजूर करने वाला प्राधिकारी का परीविक्षार्थी की शिशु देखभाल छुट्टी की आवश्यकता के बारे में पूर्ण रूप से समाधान हो जाय । इसे भी सुनिश्चित किया जाएगा कि परीविक्षा के दौरान इस छुट्टी की अवधि न्यूनतम हो।
- शिशु देखभाल छुट्टी एक कैलेंडर वर्ष के दौरान तीन बार से अधिक नहीं मंजूर नहीं की जाएगी।
- शिशु देखभाल छुट्टी 18 वर्ष से कम आयु के केवल दो जीवित सबसे बड़े संतानों के लिए अनुमान्य होगी।
- इस छुट्टी के दौरान महिला कर्मचारी को वही छुट्टी वेतन प्राप्त होगा जो छुट्टी पर प्रस्थान करने के ठीक पहले प्राप्त कर रही हो।
- संबंधित महिला कर्मचारी के छुट्टी लेखे में उपार्जित छुट्टी देय होते हुए भी शिशु देखभाल छुट्टी मंजूर की जा सकती है।
- शिशु देखभाल छुट्टी, छुट्टी-लेखे में विकलित नहीं की जायेगी।
- शिशु देखभाल छुट्टी के लिए छुट्टी लेखा, संलग्न विहित प्रपत्र में संधारित किया जाएगा और इसे संबंधित महिला सरकारी कर्मी की सेवा पुस्त के साथ रखा जायेगा।
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सारांश
सरकारी नियमित महिला सेविका अपने नाबालिग संतानों की देखभाल के लिए शिशु देखभाल छुट्टी (Child Care Leave) का उपयोग कर सकती है। यह सम्पूर्ण सेवाकाल में दो संतानों तक के लिए 730 दिनों तक का छुट्टी मिलती है। एक साल में 3 बार तक बारी-बारी से जरुरत के मुताबिक इस अवकाश का सदुपयोग कर सकती है।