अमेरिका में प्राथमिक शिक्षक बनने की प्रक्रिया और काम करने का तरीका इंडिया से काफी अलग और अधिक पेशेवर है। यहाँ शिक्षक सिर्फ पठन-पाठन कार्य तक ही सीमित नहीं होते। उन्हें पढ़ाई के अलावा कई तरह के प्रशासनिक काम करने होते हैं, माता-पिता या अभिभावक से बात करनी होती है, स्कूल की अतिरिक्त गतिविधियों में मदद करनी होती है और अपने कौशल को बढ़ाने के लिए लगातार प्रशिक्षण भी लेनी होती है। कहा जाता है, “दूर का ढोल सुहावना लगता है,” लेकिन क्या वास्तव में ढोल की ताल में मिठास है ? मन में सवाल उठता है कि इंडिया और अमेरिका के प्राइमरी टीचर में कौन बेहतर है?
आज हम आपको अमेरिका के प्राथमिक विद्यालयों की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी देंगे। इसमें शिक्षक की नियुक्ति का तरीका, वेतन, काम के घंटे, पदोन्नति के नियम, गैर-शैक्षणिक कार्य, अनुकम्पा नियुक्ति की व्यवस्था और पेंशन जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं। इसे हम आसान भाषा में समझाएंगे ताकि आप दोनों देशों के शिक्षक पेशे की तुलना अच्छे से कर सकें।
अमेरिका में प्राइमरी टीचर नियुक्ति नियम क्या है ?
अमेरिका में, प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति के नियम और प्रक्रियाएं राज्य के हिसाब से अलग-अलग होती हैं, क्योंकि वहाँ की शिक्षा व्यवस्था विकेन्द्रीकृत है। इसका मतलब है कि शिक्षा से जुड़े नियम, निर्णय और प्रबंधन का अधिकार सिर्फ़ केंद्र सरकार के पास नहीं, बल्कि राज्यों, ज़िलों और स्कूलों के बीच भी बंटा हुआ है।
भारत में भी प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति कई स्तरों पर होती है :-
- ► केंद्रीय स्तर- केंद्रीय विद्यालयों जैसे स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
- ► राज्य स्तर- अधिकांश नियुक्तियाँ राज्य सरकारों द्वारा की जाती हैं।
- ► स्थानीय/स्कूल स्तर- कुछ स्कूलों, जैसे कि मिशनरी स्कूलों, में ज़िला समितियाँ या स्कूल प्रबंधन समितियाँ शिक्षकों की नियुक्ति करती हैं।
हालांकि, दोनों देशों में नियुक्ति की प्रक्रिया में कुछ समानताएं हैं। अमेरिका और भारत दोनों देशों में अलग-अलग राज्य अपने-अपने नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार शिक्षकों की भर्ती करते हैं।

अमेरिका में प्राइमरी टीचर बनने की योग्यता क्या है ?
अमेरिका में प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए उम्मीदवार का स्नातक होना ज़रूरी है और साथ ही उसके पास टीचिंग लाइसेंस होना चाहिए। इस लाइसेंस को प्राप्त करने के लिए उम्मीदवार को राज्य की बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करनी पड़ती है। अमेरिका में, टीचिंग लाइसेंस केवल एक बार पास करने के बाद लाइफ टाइम के लिए शिक्षक बने रहने का लाइसेंस बन जाता है ऐसा नहीं है। शिक्षक नवीनतम शिक्षण विधियों, तकनीक और विषयों से अपडेट रहें, इसके लिए उन्हें हर 3 से 5 साल में अपना टीचिंग लाइसेंस रेनुअल कराना होता है।
वहीं, भारत में प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए उम्मीदवार को इंटरमीडिएट या स्नातक की योग्यता के साथ-साथ TET पास होना अनिवार्य है। इंडिया में, एक बार शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास करने और नौकरी प्राप्त करने के बाद, शिक्षकों को अपनी पूरी सेवा अवधि के दौरान यह परीक्षा दोबारा पास करने की आवश्यकता नहीं होती। एक बार नियुक्त होने के बाद, उनका लाइसेंस जीवन भर के लिए वैध रहता है, जब तक कि वे सेवानिवृत्त नहीं हो जाते।
अमेरिका के प्राइमरी स्कूल में शिक्षक कितने घंटे पढ़ाते हैं ?
इंडिया की तरह अमेरिका के प्राथमिक स्कूलों में भी शिक्षकों के पठन-पाठन कार्य के घंटे राज्य के अनुसार थोड़े-थोड़े भिन्न होते हैं। लेकिन औसतन, प्राथमिक विद्यालय सुबह 8:00 या 8:30 बजे शुरू होकर दोपहर 2:30 से 3:30 बजे तक चलते हैं। प्राइमरी स्कूल के शिक्षक रोजाना लगभग छह से सात घंटे स्कूल में रहते हैं। स्कूल खत्म होने के बाद वे लगभग 1-2 घंटे पढ़ाई की तैयारी, असाइनमेंट की जांच, शैक्षणिक मीटिंग, अभिभावकों से संवाद आदि में व्यतीत करते हैं।
अमेरिका में प्राइमरी टीचर की सैलरी कितनी होती है?
अगस्त 2025 के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका में एक प्राथमिक शिक्षक का औसत वार्षिक वेतन लगभग ₹45,21,880 है।
इसे मासिक रूप में देखा जाए, तो एक प्राथमिक शिक्षक को औसतन प्रति माह लगभग ₹3,76,823 का वेतन मिलता है। सैलरी के अलावा, शिक्षक को हेल्थ बीमा, पेंशन, और बोनस भी मिलते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह एक औसत आंकड़ा है, और शिक्षकों का वास्तविक वेतन उनके अनुभव, शैक्षणिक योग्यता और वे किस राज्य या स्कूल जिले में कार्यरत हैं, इसके आधार पर अलग-अलग हो सकता है।
अमेरिका में Primary School Teachers कौन-कौन से गैर-शैक्षणिक कार्य करते हैं ?
अमेरिका ही नहीं, वर्तमान में भारत समेत लगभग हर देश में शिक्षक केवल पढ़ाने तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि उनसे कई गैर-शैक्षणिक कार्य भी कराए जाते हैं। फर्क इतना है कि गैर-शैक्षणिक कार्यों का स्तर और प्रकार अलग होता है। अमेरिका में ये कार्य ऑनलाइन पोर्टल पर जानकारी भरना, विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए योजना बनाना, रिजल्ट तैयार करना, शिक्षक-अभिभावक बैठकें आयोजित करना, आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए बच्चों को मॉक ड्रिल करवाना, शैक्षिक भ्रमण के दौरान बच्चों की देखरेख करना आदि शामिल हैं।
वहीं भारत में गैर-शैक्षणिक कार्यों में अनीमिया की दवा खिलाना, शिशु पंजीकरण करना, पोषण क्षेत्र में घूम-घूमकर नामांकन करना, साइकिल वितरण, चुनाव ड्यूटी, जनगणना जैसे कार्य शामिल हैं।
अमेरिका में Primary School Teachers का प्रमोशन कैसे होता है ?
अमेरिका में प्राथमिक शिक्षकों की पदोन्नति स्वतः नहीं होती। यह पूरी तरह से शिक्षक के व्यक्तिगत प्रयास, शैक्षणिक योग्यता और अनुभव पर निर्भर करती है। योग्यता और अनुभव शिक्षक को प्रमोशन पाने के लिए अतिरिक्त डिग्री, जैसे स्नातकोत्तर या पीएचडी और विशेष ट्रेनिंग करनी पड़ती है। इसके अलावा, एक लीडरशिप रोल के लिए आमतौर पर 5 से 10 साल का शिक्षण अनुभव आवश्यक माना जाता है।
इन योग्यताओं के बाद, शिक्षक लीड टीचर, असिस्टेंट प्रिंसिपल, प्रिंसिपल और अंत में डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर जैसे प्रशासनिक पदों तक पहुँच सकते हैं। यह प्रक्रिया करियर में निरंतर प्रगति का अवसर देती है।
इसके विपरीत, भारत में शिक्षकों की प्रमोशन आमतौर पर सेवा अवधि और वरिष्ठता पर आधारित होती है, न कि केवल अतिरिक्त शैक्षणिक योग्यता पर। हालाँकि, कुछ मामलों में विभागीय परीक्षा या निर्धारित सेवा शर्तों को पूरा करना आवश्यक होता है।
यह अंतर दोनों देशों की प्रणालियों की प्राथमिकता को दर्शाता है। अमेरिका में योग्यता और स्व-विकास को महत्व दिया जाता है, जबकि भारत में प्रमोशन के लिए अनुभव और सीनियरटी को वरीयता दी जाती है।
क्या अमेरिका में मृत शिक्षक के परिवार को अनुकंपा में नौकरी मिलती है?
अमेरिका में यदि किसी सरकारी शिक्षक की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो उनके परिवार के किसी सदस्य को अनुकंपा के आधार पर नौकरी नहीं दी जाती है। वहाँ ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जहाँ किसी व्यक्ति को केवल इसलिए शिक्षक की नौकरी मिल जाए क्योंकि उनके अभिभावक, पति या पत्नी का निधन हो गया है।
अमेरिका में, शिक्षक की मृत्यु के बाद उनके परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें मुख्य रूप से आर्थिक सहायता, बीमा, पेंशन और यूनियन सपोर्ट शामिल हैं।
इसके विपरीत, भारत में अनुकंपा नियुक्ति की परंपरा मौजूद है, जहाँ सरकारी कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके परिवार के एक सदस्य को योग्यता के आधार पर नौकरी दी जा सकती है। यह व्यवस्था परिवार को आर्थिक कठिनाई से बचाने के लिए बनाई गई है।
यह अंतर दर्शाता है कि अमेरिका में रोजगार पूरी तरह से योग्यता और निर्धारित प्रक्रिया पर आधारित है, जबकि भारत में सामाजिक सुरक्षा और परिवार का कल्याण भी रोजगार नीतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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