रांची जिले के सभी सरकारी विद्यालयों में बच्चों को गुणवत्ता पोषण युक्त ताज़ी सब्ज़ी मिले, इसके लिए जिला शिक्षा अधीक्षक रांची द्वारा प्रोजेक्ट सुपोषण के तहत स्कूल पोषण वाटिका (School Nutrition Garden) प्रारम्भ किया गया है। इसका महत्वपूर्ण उद्देश्य यह है कि स्कूल में उगी सब्ज़ियाँ मध्याह्न भोजन में इस्तेमाल होकर बच्चों को ताज़ा और स्वास्थ्यवर्धक खाना मिल सके। साथ ही सब्ज़ी के पौधों की देखभाल से बच्चों में कृषि ज्ञान, जिम्मेदारी और सफाई की भावना विकसित हो सके।

पोषण वाटिका का उद्देश्य
सरकारी स्कूल में उगाई गई सब्जियाँ जब मध्याह्न भोजन में उपयोग होती हैं, तो बच्चों को ताज़ा और पौष्टिक खाना मिलता है। इससे उनका पोषण स्तर बढ़ता है और कुपोषण कम होता है। बच्चे बीज बोना, पौधे लगाना, पानी देना और उनकी देखभाल करना भी सीखते हैं। इससे उन्हें पेड़-पौधों और सब्जियों की महत्ता समझ में आती है। साथ ही स्कूल का वातावरण हमेशा हरा-भरा और सुंदर बना रहता है।
युवा पदाधिकारी बादल राज का यह एक नई सोच के साथ उठाया गया बड़ा कदम है, जिसने स्वास्थ्य को शिक्षा से जोड़ा है। इसके तहत पर्यावरण अध्ययन, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान का व्यावहारिक, रचनात्मक और गतिविधि-आधारित ज्ञान स्कूल पोषण वाटिका (School Nutrition Garden) के माध्यम से बच्चों को मिल रहा है। इससे FLN का उद्देश्य भी पूरा होता है, क्योंकि बच्चे खुद करके सीखते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसमें प्रोजेक्ट इम्पैक्ट को भी शामिल किया गया है, जिसके द्वारा बच्चों को हमारी परंपराओं की जानकारी मिलती है। वे हाउस गतिविधियों में सक्रिय होकर समस्याओं को हल करते हैं। शिक्षक बच्चों के सीखने और कार्य-कौशल का मूल्यांकन करते हैं। इससे बच्चों में आपसी प्रतिस्पर्धा, उत्साह और सीखने की रुचि बढ़ती है।

“स्कूल पोषण वाटिका केवल सब्जियाँ उगाने की पहल नहीं है, बल्कि यह बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और व्यवहारिक सीख को एक साथ जोड़ने वाला व्यापक कार्यक्रम है। हमारा उद्देश्य है कि हर बच्चे को स्कूल में ही ताज़ा, पौष्टिक और सुरक्षित भोजन मिल सके। पोषण वाटिका के माध्यम से बच्चों में प्रकृति प्रेम, जिम्मेदारी, स्वच्छता और कृषि से जुड़ा व्यावहारिक ज्ञान विकसित होता है। यह सीख केवल किताबों तक सीमित नहीं रहती, बल्कि बच्चे खुद करके समझते हैं-जो FLN के लक्ष्य को और मजबूत बनाती है।
हम चाहते हैं कि प्रत्येक विद्यालय समुदाय-बाल संसद, इको क्लब, शिक्षक, माता-पिता और स्थानीय लोग-इस पहल को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाएँ। जिला प्रशासन पूरी तरह इसके समर्थन में है और हम इसे रांची जिले की एक आदर्श पहल के रूप में विकसित करना चाहते हैं।”
-बादल राज
जिला शिक्षा अधीक्षक रांची
स्कूल पोषण वाटिका में क्या और कैसे किया जाए?
अब प्रश्न यह आता है कि जमीन की अनुपलब्धता और संसाधनों की कमी होने पर पोषण वाटिका का निर्माण कैसे किया जाए? इस संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि इसके लिए स्पष्ट और आवश्यक दिशानिर्देश जारी करते हुए जिला शिक्षा अधीक्षक, रांची द्वारा एक SOP जारी की गई है। आप इस Download या Link को क्लिक करके पत्र पढ़ सकते हैं। Poshan Vatika
विद्यालयों को निर्देश दिया गया है कि स्कूल पोषण वाटिका बनाने के लिए बाल संसद, इको क्लब, माता समिति, विद्यालय प्रबंधन समिति, स्थानीय लोग, जनप्रतिनिधि और पूरा विद्यालय परिवार मिलकर सहयोग कर सकते हैं। सब्जियाँ हमेशा मौसमी चुनी जाएँ। यदि जमीन उपलब्ध नहीं है, तो सब्जियाँ गमलों, बोरों, प्लास्टिक की बोतलों और डिब्बों में भी आसानी से उगाई जा सकती हैं।
जिन विद्यालयों में बाउंड्री वॉल नहीं है, वहाँ बांस का घेरा, तार की जाली, पुटुस का घेरा या अन्य कम लागत वाली सामग्री का उपयोग करके सुरक्षा की व्यवस्था की जा सकती है।
सब्जी की खेती के लिए उपजाऊ मिट्टी, पर्याप्त धूप और पानी बहुत जरूरी होते हैं। इसलिए पोषण वाटिका के लिए हमेशा उचित और सही स्थान का चयन किया जाना चाहिए।
सब्जियों के चयन हेतु निर्देश
सरकारी विद्यालयों में पोषण वाटिका तैयार करने को लेकर विशेष निर्देश जारी किए गए हैं। निर्देशों में कहा गया है कि सभी सब्जियों की बुवाई मौसम के अनुसार की जाए तथा छात्रों को प्रत्येक सब्जी की विशेषताओं और उपयोगिता के बारे में विस्तार से बताया जाए।
पोषण वाटिका में सहजन (स्थानीय नाम मुनगा) को अनिवार्य रूप से लगाने की सलाह दी गई है। इसके साथ ही साग की श्रेणी में पालक, लाल भाजी और कोयनार को प्रमुखता देने का निर्देश दिया गया है। सब्ज़ी वर्ग में टमाटर, बैंगन, गोभी, लौकी, कद्दू, बोदी, नेनुआ और बीन्स जैसी फसलों को शामिल किया जाएगा।
फलदार पौधों में केला और पपीता लगाए जाने की अनुशंसा की गई है ताकि छात्रों को पौष्टिक आहार के महत्व से अवगत कराया जा सके।
सारांश
रांची जिले के सभी सरकारी विद्यालयों में प्रोजेक्ट सुपोषण के तहत स्कूल पोषण वाटिका की शुरुआत की गई है, ताकि बच्चों को मध्याह्न भोजन में ताज़ी और पौष्टिक सब्जियाँ उपलब्ध हो सकें। इस पहल से बच्चों का पोषण स्तर बढ़ेगा, कुपोषण में कमी आएगी और उन्हें खेती, पौधों की देखभाल, जिम्मेदारी तथा स्वच्छता जैसे व्यावहारिक कौशल सीखने का अवसर मिलेगा।
विद्यालयों को निर्देश दिया गया है कि बाल संसद, इको क्लब, माता समिति, जनप्रतिनिधि और स्थानीय समुदाय की मदद से मौसमी सब्जियाँ उगाई जाएँ। जमीन न होने पर सब्जियाँ गमलों, बोरों और बोतलों में भी उगाई जा सकती हैं। बाउंड्री वॉल न होने पर बांस, जाली या अन्य सस्ती सामग्रियों से सुरक्षा व्यवस्था करने को कहा गया है।
निर्देशों के अनुसार सहजन (मुनगा), पालक, लाल भाजी, कोयनार, टमाटर, बैंगन, गोभी, लौकी, कद्दू, बोडी, नेनुआ, बीन्स तथा केला-पपीता जैसे फलदार पौधे लगाए जाएँगे।
यह पहल शिक्षा से स्वास्थ्य को जोड़ते हुए पर्यावरण अध्ययन, सामाजिक विज्ञान और विज्ञान का व्यवहारिक, गतिविधि-आधारित ज्ञान प्रदान करती है। इससे FLN का लक्ष्य सुदृढ़ होता है, बच्चे करके सीखते हैं, परंपराओं की जानकारी प्राप्त करते हैं और हाउस गतिविधियों के माध्यम से समस्याएँ हल करने, प्रतिस्पर्धा, उत्साह और कौशल का विकास होता है।
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